Bhutiya Railway Station | Haunted Begun Kordar Railway Station

 आज लेख में आपको Begun Kodar  Most Haunted Railway Station के बारे में बताएंगे। 

नमस्कार दोस्तों, आप लोगों ने कई बार भूतिया होटल के बारे में सुना होगा या फिर भोसिया जगहों के बारे में सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक भूतिया रेलवे स्टेशन की बात करने वाले हैं यह भूतिया रेलवे स्टेशन कोलकाता के एक बेगुनकोडर नाम के गांव में स्थित है आज हम इसी के बारे में बात करेंगे।

Haunted Begun Kordar Railway Station.

यह कहानी एक ऐसे रेलवे स्टेशन की है। जहां पर कुल मिलाकर 42 साल तक कोई ट्रेन नहीं रुकी। हालांकि इस दौरान उस स्टेशन से ट्रेन गुजरती रही यह कोलकाता और झारखंड जोड़ने वाली एक मेन रेलवे लाइन थी। मगर जैसे यह रेलवे स्टेशन आने वाला होता है। तो ट्रेन का रुकना तो दूर ट्रेन की रफ्तार और बढ़ जाती थी और इन सब का कारण भी बहुत अजीब था। और वह कारण थी एक लड़की। 


जो स्टेशन लोगों के सुविधा के लिए बनाया गया उस स्टेशन को एक लड़की ने वीरान कर दिया।

यह कहानी वेस्ट बंगाल की है। बंगाल की राजधानी कोलकाता से 250 किलोमीटर दूर पुरुलिया डिस्टिक पड़ता है। जो अपने आप में ही एक फेमस जगह है। लेकिन आज उसी पुरुलिया जिले के एक गांव बेगुन कोडार की है। जोकि पुरुलिया मेन सिटी से लगभग 35 से 40 किलोमीटर दूर है।

यह बात 1960 के आसपास की है उस दौरान बेगुनकोडर में कोई रेलवे स्टेशन नहीं था। रेलवे लाइन तो थी मगर स्टेशन काफी दूर था। तो लोगों को ट्रेन पकड़ने के लिए 25 से 30 किलोमीटर दूर स्टेशन जाना पड़ता है या फिर पुरुलिया जाकर ट्रेन पकड़नी पड़ती थी। तो बेगुनकोडर और उस गांव के आसपास के लोगों को बहुत परेशानी होती थी। तो वह लोग अपने गांव के पास एक रेलवे स्टेशन बनवाने की मांग करने लगे बात धीरे धीरे ऊपर तक पहुंची। फिर यह फैसला हुआ कि उस गांव में भी एक रेलवे स्टेशन बनाया जाए। और फिर रेलवे स्टेशन का काम शुरू होता है फिर 1962 आते-आते स्टेशन तैयार हो जाता है। वहां पर एक छोटा सा ही रेलवे स्टेशन बनाया गया। जहां पर कोई एलिवेटेड प्लेटफार्म तो नहीं है पर उस गांव के हिसाब से ठीक-ठाक सा स्टेशन बनाया गया जिसमें एक टिकट काउंटर, एक वेटिंग हॉल और एक क्वाटर बनाया गया इस स्टेशन मास्टर के लिए। क्योंकि वह ज्यादा बड़ा गांव नहीं था इसलिए बड़े स्टेशन की जरूरत नहीं थी। उसके बाद 1962 में रेलवे स्टेशन को चालू कर दिया गया।

अब बेगुनकोडर और उसके आसपास के गांव वालों को जो परेशानी हो रही थी वह खत्म हो गई। लोग टेशन पर आते ट्रेनें रुकती कुछ लोग चढ़ते कुछ लोग उत्तर ते  5 सालों तक सब कुछ सही चल रहा था। 1967 में मोहन नाम के एक स्टेशन मास्टर की वहां पोस्टिंग होती है और वह वही स्टेशन के सरकारी क्वार्टर में रहा करते थे। एक शाम को स्टेशन मास्टर ने देखा कि ट्रेन के साथ-साथ एक लड़की दौड़ रही है। तो उन्होंने वह देख कर उसे नजरअंदाज कर दिया। स्टेशन मास्टर को लगा कि वह ट्रेन पकड़ने के लिए दौड़ रही होगी। लेकिन अगले साल उसने फिर उस लड़की को ट्रेन के साथ भागते हुए देखा तो उन्हें कुछ अजीब सा लगा क्योंकि उन्हें देखा कि वह लड़की ट्रेन के साथ है दौड़ तो रही है मगर ट्रेन में चल नहीं रही। उन्होंने उसे भी नजरअंदाज कर दिया उन्हें लगा कि शायद कोई ऐसे ही मस्ती कर रहा होगा।


फिर अगली शाम उस लड़की को उसने फिर से देखा इस बार वह चौक गए क्योंकि उन्होंने देखा कि वह लड़की इतनी तेज दौड़ रही थी कि ट्रेन से भी आगे निकल गई। उसके बाद अगले दिन उन्होंने यह बात स्टेशन के सभी एंप्लोई से शेर की तो उन्होंने कहा कि यह उनका वहम है। फिर अगले दिन वो स्टेशन मास्टर उस लड़की को पूरे दिन हो स्टेशन पर ढूंढते रहे। पर उन्हें वैसे कोई लड़की दिखाई नहीं दी मगर जैसे ही अंधेरा हुआ और ट्रेन आउटर के पास पहुंची तो उन्हें फिर से वह लड़की दिखाई दी और फिर उस लड़की ने भागते भागते ट्रेन को पीछे छोड़ दिया और पटरी पर दौड़ने लगी। मतलब कि वह इंजन के आगे-आगे पटरी पर दौड़ रही थी ट्रेन उसके पीछे-पीछे आ रही थी। यह देखकर स्टेशन मास्टर मोहन बहुत घबरा गए। उन्होंने यह बात फिर लोगों को बताइए। मगर लोगों को तब भी उनका यकीन नहीं हुआ। फिर वह स्टेशन मास्टर बीमार हो गया और कुछ दिनों बाद उसकी मौत हो गई। यहां से यह बात फैलने लगी मगर फिर भी सब कुछ चलता रहा और कुछ टाइम बाद दूसरा स्टेशन मास्टर आता है और वही बात सब लोगों को बताता है। और वह स्टेशन मास्टर कहता है कि जब तक कोई ट्रेन नहीं आती तब तक वह लड़की दिखाई नहीं देती। पर जब ट्रेन आती है तब वह लड़की अचानक आ जाती है वह ट्रेन के साथ दौड़ने लगती है। कभी वह लड़की ट्रेन के आगे निकल जाती और कभी-कभी यह लड़की ट्रेन के आगे दौड़ने लगती थी। क्योंकि उसने अपने से पहले वाले स्टेशन मास्टर मोहन की भी कहानी सुनी थी तो वह वहां से भाग जाता है और वापस नहीं आता और कहता है कि उसकी पोस्टिंग कहीं और कर दी जाए। और कुछ समय बाद तीसरा स्टेशन मास्टर आता है और वह भी वहां से चला जाता है। और वह स्टेशन मास्टर कहता है कि उसकी पोस्टिंग कहीं पर भी की जाए मगर वह इस स्टेशन पर काम नहीं करेगा। पर जब यह बात पूरे बेगुन और बेगुनकोडर में फैली कि यह स्टेशन पर कोई लड़की कोई भूत है तो धीरे-धीरे वहां पर लोगों ने वहां पर आना ही छोड़ दिया। और एक-एक करके बेगुनकोडर के रेलवे स्टेशन के सारे कर्मचारी वहां से निकल गए। दिन के समय में वहां पर कोई ना कोई इंसान दिखता है मगर शाम के समय वहां पर गलती से भी कोई इंसान नहीं दिखता। उस गांव के कई लोग बताते हैं कि स्टेशन पर उन लोगों ने एक लड़की को देखा है। लोग कहते हैं कि कई बार उन लोगों ने पटरी के आगे भागते हुए देखा, स्टेशन पर नाचते हुए देखा, पर कहीं पर लोगों ने कहा कि बेगुनकोडर के रेलवे स्टेशन के पास एक पेड़ है उस पेड़ पर भी उन लोगों ने वहां पर उस लड़की को देखा है। जब यह बात रेलवे के अधिकारियों तक पहुंची और कोलकाता तक पहुंची तो उन्होंने कोशिश की कि कोई तो कर्मचारी जाए उस स्टेशन पर काम करने के लिए मगर कोई भी उस स्टेशन पर जाने और वहां पर काम करने को राजी नहीं हुआ। सभी ने कह दिया कि हम नौकरी छोड़ देंगे पर स्टेशन पर काम करने नहीं जाएंगे और कोई भी रेलवे का कर्मचारी उस स्टेशन पर नहीं गया।

मगर फिर भी उस स्टेशन पर ट्रेन आती रही और रूकती रही। और फिर उस स्टेशन पर ना तो कोई उतरता था और ना ही कोई उस स्टेशन से चढ़ता था। मगर गांव वाले अब फिर से उस स्टेशन से दूर दूसरे रेलवे स्टेशन पर जाने लगे। और फिर वही से उतरते और वहीं से चढ़ते थे। पर अपने गांव बेगुनकोडर नहीं चाहते थे। चीन की मांग पर यह बेगुनकोडर रेलवे स्टेशन बनाया गया था उन्हीं लोगों के कहने पर वह स्टेशन फिर से बंद कर दिया गया। उसके बाद उस स्टेशन से स्टेशन मास्टर गायब, सिग्नल मैन गायब , टिकट कलेक्टर गायब, टिकट विंडो पर कोई नहीं और जहां के लोगों के लिए यह स्टेशन बनाया गया वह गायब। तो लास्ट में मजबूरी में रेलवे ने यह फैसला किया कि स्टेशन को बंद कर दिया जाए और जब कोई ट्रेन वहां रुक नहीं रुकेगी, क्योंकि ट्रेन को भी रोकने के लिए या सिग्नल देने के लिए वहां पर मेन पावर की जरूरत थी मगर कोई भी इसके लिए तैयार नहीं था। इसीलिए 1967 में स्टेशन खोलने के 5 साल बाद ही उस स्टेशन को बंद कर दिया गया और उस बेगुनकोडर स्टेशन पर ट्रेन रुकने का सिलसिला बंद हो गया और धीरे-धीरे यह स्टेशन वीरान हो गया। उसके बाद रेलवे ने बकायदा अपने रिकॉर्ड में एक भूतिया रेलवे स्टेशन घोषित कर दिया। क्योंकि उन्हें कारण लिखना था क्यों कोई उस टेशन पर काम नहीं करना चाहता। और इस कारण में उस लड़की का भूत और ट्रेन के साथ भागती हुई लड़की और टेशन पर नाचने का कारण लिख दिया।

तो यह कोई हवा हवाई बात नहीं थी बल्कि यह बात भारतीय रेलवे की ऑफिशियल रिकॉर्ड में दर्ज है। उसके बाद 5 साल बीते 10 साल बीते पर यह स्टेशन चालू नहीं हुआ। इस दौरान कई सरकारी मंत्रियों ने भी स्टेशन को लेकर बयान दिए। वहीं के एक लोकल एमएलए चीन के विधान सभा क्षेत्र में यह स्टेशन और बेगुनकोडर गांव आता था उन्होंने खुद इस बात को एक्सेप्ट किया कि बेगुनकोडर रेलवे स्टेशन पर एक लड़की का साया है और इसे बंद ही रखना चाहिए क्योंकि इस लड़की को देखने के बाद कहीं लोग बीमार हो गए।

यहां तक कि उस वक्त के झारखंड के डिप्टी सीएम सुधीर मेहतू जिनका रिश्ता बेगुनकोडर से भी था उन्होंने भी रिकॉर्ड पर कहा कि स्टेशन पर लड़की का भूत है। तो जब सरकार और सरकार के मुलाजिम ही इस बात को एक्सेप्ट कर चुके थे तो फिर आम पब्लिक से कैसे बच सकती थी। उसके बाद वक्त बीतने के साथ ही स्टेशन का खौफ इतना बढ़ गया कि जब भी कोई ट्रेन बेगुनकोडर से गुजरती तो स्टेशन पर रुकन तो दूर स्टेशन आने के चार 5 किलोमीटर दूर से ही ड्राइवर ट्रेन की रफ्तार को और तेज कर देता ताकि जल्दी ही ट्रेन स्टेशन से निकल जाए स्टेशन आने से पहले जितने ही पैसेंजर उसमें होते हैं वह सभी अपनी खिड़कियां और दरवाजे बंद कर देते थे। और वह लोग ख्याल रखते की गलती से भी उस स्टेशन के सामने ना देखें ट्रेन के बाहर लोग खड़े होते अक्सर आपने रेलवे पर लोगों को दरवाजे पर खड़े होते हुए देखा होगा वह लोग भी वहां से हट जाते हो ट्रेन का दरवाजा बंद कर देते थे।

तो चलिए अब मान लेते हैं कि बेगुनकोडर नाम का एक भूतिया रेलवे स्टेशन है स्टेशन पर एक लड़की का साया है जो लड़की भागती है स्टेशन पर नाचती है मगर अब सवाल यह आता है कि यह लड़की है कौन? मगर यह सवाल को लेकर आप बेगुनकोडर के किसी भी शख्स के पास चले जाए हर एक शख्स से आपको एक ही जवाब मिलेगा।की आउटर पर एक लड़की की ट्रेन के नीचे आने से मौत हो गई थी और उसकी ही आत्मा तब से वहां भटक रही है। शायद उससे कहीं जाना था और ट्रेन पकड़नी थी इसलिए जैसे ट्रेन आती है वह उसके साथ भागना शुरू कर देती है।

और धीरे-धीरे ऐसे ही समय बिता रहा और करीब 35 से 40 साल बीत गए और अब बात मीडिया तक पहुंच गई। और धीरे-धीरे कोलकाता के पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर को यह बात पता चली तो उन्होंने फैसला लिया कि वह लोग बेगुनकोडर जाएंगे और वहां पर एक रात बिताएंगे। और उसके बाद वह लोग बेगुनकोडर चाहते हैं और उस गांव में दिन के समय में गांव वालों से बात करते हैं तो गांव वालों का एक ही जवाब था फिर तुम लोग यहां से चले जाओ वरना मारे जाओगे लेकिन पैरानॉर्मल इन्वेस्टिगेटर तो फैसला करके ही आए थे कि वह लोग एक रात बिता कर ही जाएंगे। उसके बाद उन इन्वेस्टिगेटर रोने वहां पर पूरी रात बिताई और उन्होंने यह बात बताइए कि वहां पर कोई भूत नहीं है और धीरे-धीरे यह बात मीडिया में आ गई। और जब 35 40 साल बीत गया तो लोगों का भी नजरिया बदलने लगा। और बेगुनकोडर के ही एक लोकल एमएलए ने रेलवे मिनिस्ट्री को एक लेटर लिखा और उसमें स्टेशन को दोबारा खोलने की बात कही गई। ममता बनर्जी जो आज वेस्ट बंगाल की चीफ मिनिस्टर है उस वक्त वह रेलवे मिनिस्टर थी क्योंकि वह उन्हीं की स्टेट का मामला था तो उन्होंने इस पर पहल की और उनके कहने पर वहां पर लोगों की पोस्टिंग में की गई फिर वहां पर साफ-सफाई वगैरह की गई और वहां पर रेलवे का टाइम टेबल बनाया गया और पूरे 42 साल के बाद पहली बार सितंबर 2009 मैं सुबह करीब 11:00 बजे हटिया खड़कपुर पैसेंजर ट्रेन वहां पर रूकती है। धीरे-धीरे लोग वहां पर हिम्मत करके आने लगे मगर इस बार सब ठीक चलने लगा मगर आज भी दिन के उजाले में वहां पर कोई ट्रेन रूकती है शाम 5:00 बजे के बाद वहां पर कोई ट्रेन नहीं रुकती और पूरे बेगुनकोडर के लोग वहां पर शाम 5:00 बजे के बाद वहां पर कोई नहीं आते। शाम 5:00 बजने के बाद ही रेलवे का सारा स्टाफ स्टेशन से निकल जाता है और आज भी वहां पर शाम 5:00 बजने के बाद वहां पर कोई करता है और ना ही उस स्टेशन से कोई चढ़ता है।

तो कुल मिलाकर एक लड़की की वजह से पूरे 42 साल तक कोई ट्रेन नहीं रुकी। तो उस लड़की बात वहम थी या फिर अफवाह यह आज तक किसी को नहीं पता। हालांकि लोगों ने कहा कि उसने देखा है लेकिन उसका पुख्ता सबूत अभी तक नहीं मिला।   

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"तो दोस्तों आज आपको यह रियल भूतिया स्टेशन की जानकारी कैसी लगी हमें अपनी राय कॉमेंट बॉक्स में  जरूर बताएं अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।"

"धन्यवाद"


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